एकाग्रता ही सफलता
एकाग्रता ही सफलता की कुंजी है, आप दिन प्रतिदिन अपने काम को एकाग्रता से करे तो हर काम में सफलता प्राप्त कर सकते है.
या मेघा देवगणा: पितरश्चोपासन्ते
ता मामघ मेघगने मेघविन कुरु.
इस वेदमंत्र में प्रभु से मेघा (बुद्धि) की याचना की गई है. मेघा या बुद्धि को विकसित करने में विद्या का बड़ा हाथ है. अत: उपयोगी व आंतरिक शक्तियों का विकास करने वाली विद्या से सम्पन्न होकर, बच्चो व युवाओं के अपने अन्दर सुप्ता वस्था में पड़ी मेघा को जाग्रत करना चाहिए. वेदों में एक अन्य स्थान पर उल्लेख मिलता है कि जब मेघा जाग्रत हो जाती है, तब वाणी का कोई भी विषय आखों से ओझल नहीं रह सकता
By *Mukesh LPM*
विश्वविख्यात वैज्ञानिक आइन्स्टीन बचपन में पढने लिखने व प्रत्येक कार्य करने में बहुत पीछे रहते थे. उनके साथ पढने वाले सहपाठी हमेशा उनका मजाक उड़ाया करते थे. कुछ साथी तो उनकी पीठ पर गधा तक लिख दिया करते थे.
एक दिन आइन्स्टीन ने अत्यंत गंभीरतापूर्वक सविनय अपने अध्यापक महोदय से पूछा, क्या मैं किसी प्रकार सुयोग्य बन सकता हूँ? तब अध्यापक ने उन्हें संयम व सदाचार की शिक्षा देते हुए कहाँ, तत्परता व एकाग्रता से ही जीवन में महान बना जा सकता है.
आइन्स्टीन ने उनकी इस शिक्षा को अपने जीवन में आत्मसात किया और सदाचार व संयम प्रारम्भ किया. इससे आइन्स्टीन की मेघा शक्ति जागृत हुई और वे एक दिन संसार प्रसिद्ध हो गए. ज्ञानी पुरुष कहते है.
तप: सु सर्वेषु एकाग्रता परमं तप:
अर्थात तपों में एकाग्रता परमं तप है. जीवन को सफल बनाने का यदि कोई मुख्य साधन है, तो वह है एकाग्रचित्त होगा और यदि जीवन में असफलता का कोई कारण है, तो वह है व्यग्रचित्त होना अपनी शक्तियों को बिखेर देना. वास्तव में, चित्त की अस्थिरता कैसी भी हो, यह हानिकारक ही होती है.
यदि जीवन में उन्नति व प्रगति के पथ पर अग्रसर होना चाहते है, तो हमें सदाचार का पालन, विद्या का अर्जन, ब्रह्राचर्य का पालन, माता पिता व गुरुजनों का आदर, दुखी व अनाथ प्राणियो की निस्वार्थ भाव से सेवा तथा ईश्वर की भक्ति करके अपने जीवन पथ को प्रशस्त करना चाहिए.